विश्वास करो कि तुम महान हो
विश्वास करो कि तुम महान कार्य के लिए आये हो। तुम्हारे भीतर महान आत्मा का निवास है। विश्वास करो कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो, तुम मृत्यु नहीं अमर हो, इसलिए तुम्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता, कोई तुम्हें विचलित नहीं कर सकता।
विश्वास करो कि तुम महान कार्य के लिए आये हो। तुम्हारे भीतर महान आत्मा का निवास है। विश्वास करो कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो, तुम मृत्यु नहीं अमर हो, इसलिए तुम्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता, कोई तुम्हें विचलित नहीं कर सकता।
विश्वास करो कि तुम अकेले नहीं हो। जंगल, नदी, पर्वत और एकांत में भी तुम अकेले नहीं हो। तुम्हारे साथ सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक परमात्मा है। जब तुम सोते हो और गाढ़ी निद्रा में होते हो, तब भी परम प्रभु तुम्हारे अंग- संग होता है। तुम्हारा वह अनंत पिता तुम्हें जीवन दे रहा है, वह तुम्हें महान और चिरायु बनाना चाहता है, इसलिए किसी भी दशा में अपने आप को अकेला और असहाय न मानो। भला जब अमरत्व, सहायों का भी सहाय और राजाओं का भी राजा परम प्रभु तुम्हारे साथ है, तब तुम अपने आप को निराश्रित और असहाय क्यों समझते हो? क्या हुआ यदि तुम्हारा विनाश करने के लिए सब सांसारिक शक्तियाँ एकत्र हैं? यदि परम पिता तुम्हारी रक्षा कर रहा है, तो विश्वास करो, कोई तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता।
(अखंड ज्योति- दिसंबर १९४९, पृष्ठ- ११)
आत्मसमर्पण का अर्थ यह नहीं कि तुम आत्मविश्वास खो बैठो। जब तुमने परमात्मा को आत्मसमर्पण किया है, तब तुम में पूर्ण आत्मविश्वास जागृत होना चाहिए। उस दशा में तुम महान बन गए हो, तुम्हें भय नहीं रहा, ऐसा सोचो। तुम महान से मिलकर महान बन गए, यह विश्वास करो।
(अखंड ज्योति- दिसंबर १९४९, पृष्ठ- ११)
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