अपनी योजना पर मजबूती से टिके रहिये
संसार अवसरों से भरा है। यदि मनुष्य अवसर और परिस्थिति के साथ- साथ अपने आप को ढ़ाल ले, या अवसर को अपने पर फिट बिठा ले, तो वह उससे अवश्य लाभ उठा सकता है। हमें अपनी कटु आलोचना, खरी और तीखी आलोचना कर व्यक्तित्व की कमजोरियाँ मालुम करने और उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
संसार अवसरों से भरा है। यदि मनुष्य अवसर और परिस्थिति के साथ- साथ अपने आप को ढ़ाल ले, या अवसर को अपने पर फिट बिठा ले, तो वह उससे अवश्य लाभ उठा सकता है। हमें अपनी कटु आलोचना, खरी और तीखी आलोचना कर व्यक्तित्व की कमजोरियाँ मालुम करने और उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
संसार में बहुत कम ऐसे निर्भय व्यक्ति हैं, जो अपने दोष देखते, उन पर सोचते- विचारते, टीका टिप्पणी करते हैं। आप इन्हीं व्यक्तियों जैसा बनिए। अपनी कमजोरियों को छाँट- छाँट कर निकाल डालिए। अपने व्यक्तित्व को पुनः निर्मित कीजिये। संझेप में अपनी कमजोरियों को निकाल कर अपने आप को नवीनतम नमूने का आदमी, नवीन व्यक्तित्व, नवीन विचारों और दृष्टिकोण वाला व्यक्ति बना लीजिये।
विकास के लिए जो तथ्य सबसे जरूरी है, वह है- योजना बनाना और फिर चाहे कुछ हो उस पर टिके रहना, चट्टान की तरह अड़े रहना, पूर्ण करना, अधूरा न छोड़ना। लोग अच्छी योजनायें प्रारम्भ करते हैं, पर बीच से ही छोड़ भागते हैं। यह बुरा है, बस इससे सावधान रहिये।
अतः स्वयं अपनी सहायता से ऊँचा उठिए, संसार आपके पीछे- पीछे चलेगा।संसार उसकी सहायता करता है, जो स्वयं सशक्त और सफल हो चुका है।
अतः स्वयं अपनी सहायता से ऊँचा उठिए, संसार आपके पीछे- पीछे चलेगा।संसार उसकी सहायता करता है, जो स्वयं सशक्त और सफल हो चुका है।
(अखंड ज्योति- जनवरी १९५०, पृष्ठ-२७)