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Thursday, May 5, 2011

Thought of the Day

"Don't Get Upset With PEOPLE Or SITUATIONS.
They Are POWERLESS Without Your REACTION."



Daily Thought of the Day emailed by A. M. Shah (amrish1974@gmail.com)

Sunday, May 1, 2011

Thought of the Day

Merging one's happiness into that of others
is called 'LOVE'
                                                "Pandit Shriram Sharma Acharya"


Friday, April 29, 2011

Thought of the Day

"Those who wish to live healthier and longer;
should make it a habit
not to eat anything unless they feel very hungry"
                                                                       Pandit Shriram Sharma Acharya




Vichar Kranti Abhiyan, Shantikunj, Haridwar, India

Wednesday, April 27, 2011

Thought of the Day

A man is free to do anything;
but there is no choice regarding the selection of its consequences.
                                                 "Pandit Shriram Sharma Acharya"

Vichar Kranti Abhiyan, Shantikunj, Haridwar, INDIA

Saturday, April 23, 2011

Thursday, April 21, 2011

Thought of the Day

"PressurE may give PerformancE ;
But PassioN gives ExcellencE."



Daily Thought of the Day emailed by A. M. Shah (amrish1974@gmail.com)

Tuesday, April 19, 2011

Thought of The Day

The key to "Happiness" is not that U NEVER get Angry, Upset, Frustrated, Irritated or Depressed....
It is!  how FAST U Get Out of it...!

sms - inspirational thoughts from "Life_Positive" TD4SMSGupShup 

Sunday, April 10, 2011

Thought of the Day

Many times we overestimate the problems
& underestimate our potentials.
Faith in ourselves alone gives US the true estimate of both


sms - inspirational thoughts from life_positive TD4SMSGupSup

Wednesday, April 6, 2011

Tuesday, April 5, 2011

Thought of the Day

How can you "SM_LE" Without "I"?
How can you be "F_NE" without "I"?
How can you "W_SH" Without "I"?
How can you be "FR_END" without"I"?
"I" is very important!
But this  'I' can never achieve S_CCESS without 'U'
and that makes 'you' more important  than 'I'

Daily Thought of the Day emailed by A. M. Shah (amrish1974@gmail.com)

Monday, April 4, 2011

Thought of the Day

Success requires
  vision to see,
  faith to believe, and
  courage to do

Success is achieved by ORDINARY people with EXTRAORDINARY determination

Sunday, April 3, 2011

Thought of The Day

अपनी योजना पर मजबूती से टिके रहिये

संसार अवसरों से भरा है। यदि मनुष्य अवसर और परिस्थिति के साथ- साथ अपने आप को ढ़ाल ले, या अवसर को अपने पर फिट बिठा ले, तो वह उससे अवश्य लाभ उठा सकता है। हमें अपनी कटु आलोचना, खरी और तीखी आलोचना कर व्यक्तित्व की कमजोरियाँ मालुम करने और उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
संसार में बहुत कम ऐसे निर्भय व्यक्ति हैं, जो अपने दोष देखते, उन पर सोचते- विचारते, टीका टिप्पणी करते हैं। आप इन्हीं व्यक्तियों जैसा बनिए। अपनी कमजोरियों को छाँट- छाँट कर निकाल  डालिए। अपने व्यक्तित्व को पुनः निर्मित कीजिये। संझेप में अपनी कमजोरियों को निकाल कर अपने आप को नवीनतम नमूने का आदमी, नवीन व्यक्तित्व, नवीन विचारों और दृष्टिकोण वाला व्यक्ति बना लीजिये।
विकास के लिए जो तथ्य सबसे जरूरी है, वह है- योजना बनाना और फिर चाहे कुछ हो उस पर टिके रहना, चट्टान की तरह अड़े रहना, पूर्ण करना, अधूरा न छोड़ना। लोग अच्छी योजनायें प्रारम्भ करते हैं, पर बीच से ही छोड़ भागते हैं। यह बुरा है, बस इससे सावधान रहिये।
अतः स्वयं अपनी सहायता से ऊँचा उठिए, संसार आपके पीछे- पीछे चलेगा।संसार उसकी सहायता करता है, जो स्वयं सशक्त और सफल हो चुका है।

(अखंड ज्योति- जनवरी १९५०, पृष्ठ-२७)


Saturday, April 2, 2011

Thought of The Day

अपनी उत्तम कल्पनाओं को चरितार्थ कीजिए

जिधर दृष्टि डालिए, प्रत्येक में कल्पना का ही निवास मिलेगा। इसलिए कल्पना करना व्यर्थ नहीं है, बल्कि कल्पना करना जीवन की निशानी है, बशर्ते कि तुम्हारी कल्पनाओं में तुम्हारे जीवन का प्राण भरा हो। निष्प्राण कल्पना जीवनी शक्ति को बढ़ाती नहीं बल्कि नष्ट कर देती है, मनुष्य को निष्प्राण बना देती है,  इसलिए हमें सजीव कल्पना, सप्राण कल्पना करना आना चाहिए।
'मनुष्य' नाम की इस बड़ी भारी मशीनरी  में चारों ओर प्राण ही प्राण भरा हुआ है। चारों ओर जीवन ही जीवन लहरें ले रहा है और वही तो कल्पना के रूप में बाहर निकल कर अपने अनेक रूप, आकृति- प्रकृति बनाना चाहता है। वह अपने जीवन को, अपनी सत्ता को, अपनी चेतना को चारों ओर बिखेर देना चाहता है। इसीलिये तो कल्पना करता है, लेकिन उसकी सीमा जब कल्पना तक ही रह जाती है और अपनी आत्मा को, प्राण को उसमें नहीं रहने देती, तब वह निस्तेज हो जाता है।  
इसलिए तेजस्वी बनना हो तो जो कुछ तुम चाहते हो, जो भी तुमने अपने मन में सोच रखा है और जैसे भी तुमने अपने हवाई किले का ढांचा तैयार किया हो, उसे इस पृथ्वी पर लाने के लिए दृढ संकल्प हो जाओ।  जब तुम कल्पना कर सकते हो तो कौन सी शक्ति ऐसी है जो उसके पृथ्वी पर उतरने में बाधा डाले? 

(अखंड ज्योति - दिसंबर १९४९, पृष्ठ- ५) 

Friday, April 1, 2011

Thought of The Day

विश्वास करो कि तुम महान हो
विश्वास करो कि तुम महान कार्य के लिए आये हो। तुम्हारे भीतर महान आत्मा का निवास है।  विश्वास करो कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो, तुम मृत्यु नहीं अमर हो, इसलिए तुम्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता, कोई तुम्हें विचलित नहीं कर सकता।
विश्वास करो कि तुम अकेले नहीं हो। जंगल, नदी, पर्वत और एकांत में भी तुम अकेले नहीं हो। तुम्हारे साथ सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक परमात्मा है। जब तुम सोते हो और गाढ़ी निद्रा में होते हो, तब भी परम प्रभु तुम्हारे अंग- संग होता है। तुम्हारा वह अनंत पिता तुम्हें जीवन दे रहा है, वह तुम्हें महान और चिरायु बनाना चाहता है, इसलिए किसी भी दशा में अपने आप को अकेला और असहाय न मानो। भला जब अमरत्व, सहायों का भी सहाय और राजाओं का भी राजा परम प्रभु तुम्हारे साथ है, तब तुम अपने आप को निराश्रित और असहाय क्यों समझते हो? क्या हुआ यदि तुम्हारा विनाश करने के लिए सब सांसारिक शक्तियाँ  एकत्र हैं? यदि परम पिता तुम्हारी रक्षा कर रहा है, तो विश्वास करो, कोई तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता।
आत्मसमर्पण  का अर्थ यह नहीं कि तुम आत्मविश्वास खो बैठो। जब तुमने परमात्मा को आत्मसमर्पण किया है, तब तुम में पूर्ण आत्मविश्वास जागृत होना चाहिए। उस दशा में तुम महान बन गए हो, तुम्हें भय नहीं रहा, ऐसा सोचो। तुम महान से मिलकर महान बन गए, यह विश्वास करो।

(अखंड ज्योति- दिसंबर १९४९, पृष्ठ- ११)

Wednesday, March 30, 2011

Thought of The Day

31/03/2011
Only a virtuous and selfless worker can uplift the nation
                                                                                                        Pt.Sriram Sharma


30/03/2011
To be born in human form is effortless;
to be a human being needs persistent effort.
                                                                        Pt. Sriram Sharma