Friday, April 1, 2011

Reflexology Techniques For Normal Health

1. Walk bare-foot on uneven ground for 5 min
OR
Walk on dew-drenched grass early morning for 5 – 10 min
images.google.com
search walking
barefoot on grass
2. Hold fingertips of both hands together
Keep fingers apart
While inhaling, press fingertips of one hand against fingertips of other hand
While exhaling, relax pressure on fingertips
Continue for 2 – 3 min
Repeat this up to 2 times a day
images.google.com
search - fingertips press
3. Interlock the fingers
Hold the hands in front of the chest
While inhaling, press fingers of left hand against those of right hand
While exhaling, release the pressure
While inhaling, press fingers of right hand against those of left hand
While exhaling, release the pressure
Continue for 2 – 3 min
Repeat twice a day
images.google.com
search fingers interlocked
4. Clench your teeth firmly, with lips maximum apart
Breathe in through the mouth, feeling the cool air entering the mouth
Close the mouth & exhale slowly through the nose
Continue 5 – 6 times
Repeat twice a day
images.google.com
search teeth clenched

http://www.bestonhealth.com/travel/india/health%20centers/acupressure/acupressure2.asp?id=43


Prithvi Mudra

http://www.yogsadhna.com/healingmudra.asp

Method
Tip of the ring finger touching the tip of the thumb, with the other
three fingers stretched out.

Specialty
It reduces all physical weaknesses.

Time Duration
One can practice it for 40 to 60 minutes daily until necessary.

Benefits
It helps to increase the weight for weak people
It improves the complexion of skin and makes the skin to glow
It makes the body active by keeping it healthy

http://www.indiastudychannel.com/resources/94906-Benifits-Mudras.aspx

Thought of The Day

विश्वास करो कि तुम महान हो
विश्वास करो कि तुम महान कार्य के लिए आये हो। तुम्हारे भीतर महान आत्मा का निवास है।  विश्वास करो कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो, तुम मृत्यु नहीं अमर हो, इसलिए तुम्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता, कोई तुम्हें विचलित नहीं कर सकता।
विश्वास करो कि तुम अकेले नहीं हो। जंगल, नदी, पर्वत और एकांत में भी तुम अकेले नहीं हो। तुम्हारे साथ सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक परमात्मा है। जब तुम सोते हो और गाढ़ी निद्रा में होते हो, तब भी परम प्रभु तुम्हारे अंग- संग होता है। तुम्हारा वह अनंत पिता तुम्हें जीवन दे रहा है, वह तुम्हें महान और चिरायु बनाना चाहता है, इसलिए किसी भी दशा में अपने आप को अकेला और असहाय न मानो। भला जब अमरत्व, सहायों का भी सहाय और राजाओं का भी राजा परम प्रभु तुम्हारे साथ है, तब तुम अपने आप को निराश्रित और असहाय क्यों समझते हो? क्या हुआ यदि तुम्हारा विनाश करने के लिए सब सांसारिक शक्तियाँ  एकत्र हैं? यदि परम पिता तुम्हारी रक्षा कर रहा है, तो विश्वास करो, कोई तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता।
आत्मसमर्पण  का अर्थ यह नहीं कि तुम आत्मविश्वास खो बैठो। जब तुमने परमात्मा को आत्मसमर्पण किया है, तब तुम में पूर्ण आत्मविश्वास जागृत होना चाहिए। उस दशा में तुम महान बन गए हो, तुम्हें भय नहीं रहा, ऐसा सोचो। तुम महान से मिलकर महान बन गए, यह विश्वास करो।

(अखंड ज्योति- दिसंबर १९४९, पृष्ठ- ११)